नाग पंचमी
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' आस्तिक मुनि'.....ग्रामीण अंचलों में आज भी यह मान्यता है की घरों के बाहर इनका नाम लिखने से वे सर्प-दंश के भय से सुरक्षित रहते हैं l आखिर कौन थे यह आस्तिक मुनि जिनके द्वारा सर्प जाति की रक्षा हुई और उस प्रसंग को हम नाग पंचमी के रूप में मनाते हैं l
इस कथा की शुरुआत होती है धृतराष्ट्र द्वारा पांडवों को राज्य निर्माण हेतु खांडवप्रस्थ की जंगली भूमि प्रदान करने से.... जिसे एक नगर का आकार देने के लिए अर्जुन वहां अग्नि का प्रयोग करते हैंl उस अग्नि में कई जानवर जल जाते हैं और कई अपने परिवार से अलगl इन्ही में से एक थे नागराज तक्षक जो इसका प्रतिशोध लेते हुए अर्जुन और उसके वंश को समाप्त करने की प्रतिज्ञा लेते हैं l महाभारत के युद्ध के दौरान तक्षक अर्जुन को मारने का प्रयास भी करते हैं परंतु उस समय श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन की रक्षा कर ली जाती है l
अर्जुन के बाद उनके पौत्र राजा परीक्षित राजसत्ता संभालते हैं l एक बार शिकार करने जंगल गए राजा परीक्षित एक हिरण का पीछा करते-करते ऋषि शमीक की कुटिया में पहुंचते है और उनसे हिरण के विषय में पूछते हैं l ध्यानवास्था में स्थित ऋषि शमिक द्वारा कोई उत्तर ने पाकर वे क्रोधित होकर पास पड़े एक मृत सर्प को ऋषि के गले में डाल कर वापस अपने राज्य वापस लौट जाते हैं l अपने पिता का यह अपमान देख कर ऋषिपुत्र श्रृंगी, राजा परीक्षित को सात दिनों के भीतर सर्पदंश द्वारा मृत्यु का श्राप देते हैं l जिसके फलस्वरूप परीक्षित नागराज तक्षक के दंश द्वारा काल के मुंह में समा जाते हैं l
जब एक पुत्र का श्राप परीक्षित के मृत्यु का कारण बनता है तो परीक्षित पुत्र; जनमेजय भी इसका प्रतिशोध लेने की ठानते हैं और इस पृथ्वी से संपूर्ण सर्प जाति के विनाश का संकल्प लेते हैं l उनके द्वारा नागयज्ञ का आयोजन किया जाता है जिसके प्रभाव से संसार के सभी सर्प स्वयं आकर यज्ञ के अग्निकुंड में गिरने लगते हैं l यह देख नागराज वासुकी ने अपनी बहन देवी मनसा और ऋषि जरत्कारू से नाग जाति के संरक्षण की प्रार्थना करते हैं l तब उनके पुत्र आस्तिक मुनि, जनमेजय के नागयज्ञ में हस्तक्षेप करते हुए उन्हें यह यज्ञ रोकने हेतु समझाने के प्रयास में सफल होते हैं और इस प्रकार नाग जाति की संरक्षण होता है l
आस्तिक मुनि द्वारा सर्पों की रक्षा के कारण ही नागराज वासुकी ने उन्हें वचन देते हैं की जो भी मनुष्य उनका नाम लेगा वह सर्पदंश से सुरक्षित रहेगा और इसी दिन के उत्सव के रूप में नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाता हैंl
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