ज्योतिष से जाने अपने जीवनसाथी के मिलने के संकेत

Posted by Swami Ji 2025-02-20 07:24:47

ज्योतिष से जाने अपने जीवनसाथी के मिलने के संकेत

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प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में किसी न किसी समय यह प्रश्न करता है – “मैं अपने जीवनसाथी से कब मिलूँगा?” या “मैं अपने जीवनसाथी को कब पाऊँगा?”। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, राशि चक्र और ग्रहों की स्थिति हमारे जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं को प्रभावित करती है, जिसमें विवाह का समय भी शामिल है। विवाह की भविष्यवाणी करने के लिए कुंडली का विश्लेषण किया जाता है, जिसमें ग्रहों की चाल, दशा और भावों की स्थिति को ध्यान में रखा जाता है।



ज्योतिष में सातवां भाव विवाह और जीवनसाथी का संकेतक माना जाता है। यदि आप यह जानना चाहते हैं कि “मेरी शादी कब होगी ?” तो आपके जन्म कुंडली में सातवें भाव और उसके स्वामी ग्रह की स्थिति का अध्ययन किया जाता है। इसके अलावा, ग्रहों की महादशा और अंतरदशा भी विवाह के समय को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।



शुक्र और गुरु का प्रभाव – शुक्र प्रेम और विवाह का ग्रह माना जाता है, जबकि गुरु शुभ विवाह योग बनाने में सहायक होता है। यदि शुक्र और गुरु अच्छी स्थिति में हों, तो शीघ्र विवाह के योग बनते हैं।



मंगल दोष और विवाह में विलंब – यदि आपकी कुंडली में मंगल दोष (मंगलिक योग) है, तो विवाह में देरी हो सकती है। इसके निवारण के लिए उचित उपाय करने से विवाह का मार्ग प्रशस्त होता है।



शनि और राहु का प्रभाव – शनि और राहु की स्थिति विवाह में बाधा डाल सकती है। यदि ये ग्रह सातवें भाव में हों, तो विवाह में देरी या समस्याएं आ सकती हैं।



“आप अपने आत्मा साथी से कब मिलेंगे?” यह जानने के लिए पंचम और सप्तम भाव का अध्ययन किया जाता है। पंचम भाव प्रेम और रोमांस को दर्शाता है, जबकि सप्तम भाव विवाह को इंगित करता है। यदि ये दोनों भाव और उनके स्वामी ग्रह अनुकूल स्थिति में हों, तो प्रेम विवाह योग के संकेत मिलते हैं।मेष, सिंह, धनु: ये राशियाँ आत्मनिर्भर और स्वतंत्र होती हैं। इन जातकों को अपने जीवनसाथी से मिलने के लिए धैर्य रखना चाहिए।



वृषभ, कन्या, मकर: व्यावहारिक और पारंपरिक होते हैं, इसलिए इनका विवाह परिवार की सहमति से होता है।



मिथुन, तुला, कुंभ: रोमांटिक और खुले विचारों वाले होते हैं, जिससे प्रेम विवाह की संभावना अधिक होती है।



कर्क, वृश्चिक, मीन: भावनात्मक और गहरे रिश्ते निभाने वाले होते हैं, जिनका विवाह भाग्य के अनुसार होता है।



विवाह का सही समय कैसे जानें?



यदि आप जानना चाहते हैं कि “आप अपने जीवनसाथी से कब मिलेंगे?”, तो कुंडली में निम्नलिखित कारकों का विश्लेषण किया जाता है:



 



ग्रहों की दशा और गोचर – विवाह योग को जानने के लिए दशा और गोचर की गणना महत्वपूर्ण होती है।



विवाह कारक ग्रहों की स्थिति – शुक्र, गुरु और सप्तम भाव का अध्ययन कर विवाह का समय बताया जाता है।



नवमांश कुंडली का अध्ययन – नवमांश कुंडली से विवाह की संभावनाओं का गहन विश्लेषण किया जाता है।



भविष्य का जीवनसाथी कैसा होगा?



भविष्य का जीवनसाथी कैसा होगा, यह कुंडली के सप्तम भाव, सप्तमेश ग्रह और शुक्र की स्थिति से ज्ञात किया जाता है। यदि सप्तम भाव में शुभ ग्रह हों, तो जीवनसाथी सुखद और अनुकूल स्वभाव का होता है।



 



निष्कर्ष



राशि चक्र और ज्योतिषीय गणनाएँ हमें यह जानने में सहायता करती हैं कि “मैं अपने जीवनसाथी से कब मिलूँगा?” या “मैं कब शादी करूँगा?”। विवाह की भविष्यवाणी के लिए जन्म कुंडली का गहन अध्ययन किया जाता है, जिससे व्यक्ति अपने जीवन के इस महत्वपूर्ण पहलू के बारे में स्पष्टता प्राप्त कर सकता है। यदि आप भी अपने विवाह को लेकर चिंतित हैं, तो ज्योतिषीय परामर्श लेकर सही मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं।


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