चैत्र नवरात्रि २०२५

Posted by Swami Ji 2025-03-28 12:32:37

चैत्र नवरात्रि २०२५

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हिंदू मान्यताओं के अनुसार, साल में ४ बार नवरात्रि मनाई जाती है, जिनमें चैत्र और शारदीय प्रमुख तथा दो गुप्त नवरात्रि होती हैं l चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होती है जो हिंदू नव वर्ष के रूप में भी जाना जाता है l आइए जानते हैं इस बार चैत्र नवरात्रि कब प्रारंभ हो रही हैं l



चैत्र नवरात्रि की तिथि



२०२५ में चैत्र नवरात्रि ३० मार्च से शुरू होकर ७ अप्रैल को समाप्त होगी, अर्थात ६ अप्रैल को राम नवमी मनाई जाएगी l चैत्र माह के शुक्ल प्रतिपदा तिथि का प्रारंभ २९ मार्च को शाम ४ बजकर२७ मिनट पर हो रहा है, वही इस तिथि का समापन ३० मार्च को दोपहर १२ बजकर ४९  मिनट पर होने जा रहा है l दो दिन प्रतिपदा तिथि की वजह से लोग दुविधा में पड़ रहे हैं लेकिन शास्त्रों में उदया तिथि को मान्यता दी गई है जिसके कारण ३० मार्च को ही नवरात्रि का प्रारंभ माना जाएगा l



घट स्थापना का मुहूर्त 



नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना की जाती है जिससे साधक को नवरात्रि व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है l इस बार नवरात्रि में घट स्थापना का मुहूर्त सुबह ६ बजकर १३ मिनट से सुबह १० बजकर २२ मिनट तक है l अभिजीत मुहूर्त १२ बजकर १ मिनट से १२ बजकर ४९ मिनट तक रहेगा l



चैत्र नवरात्रि का महत्व



किंवदंतियों के अनुसार, महिषासुर का वध करने हेतु सभी देवताओं, ब्रह्मा, विष्णु और भगवान शिव ने मां दुर्गा का आवाह्न किया था जिसके फलस्वरूप मां ने प्रकट होकर महिषासुर से युद्ध किया जो नौ  दिनों तक चला और दसवें दिन मां ने महिषासुर का वध किया l अतः यह पर्व का दुर्गा के नव रूपों को समर्पित है जो भक्तों को सुरक्षा प्रदान करने वाला है l 



कलश स्थापना की विधि



नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना करते समय सबसे पहले सभी देवी-देवताओं का आह्वान करें। एक मिट्टी के बड़े पात्र में मिट्टी डाल दें और इसमें ज्वारे के बीज डालें। उसके बाद सारी मिट्टी और बीज डालकर पात्र में थोड़ा-सा पानी छिड़क दें। अब गंगाजल भरे कलश और ज्वारे के पात्र पर मौली बांध दें। जल में सुपारी,दूर्वा घास, अक्षत और सिक्का भी डाल दें। अब कलश के किनारों पर आम के 5 पत्तों को रखें और कलश का ढक्कन से ढक दें। एक नारियल लें और उसपर लाल कपड़ा या चुनरी लपेट दें। नारियल पर मौली बांध दें। इसके बाद कलश और ज्वारे स्थापित करने के लिए सबसे पहले जमीन को अच्छे से साफ कर लें। इसके बाद ज्वारे वाला पात्र रखें। उसके ऊपर कलश स्थापित करें और फिर कलश के ढक्कन पर नारियल रख दें। फिर सभी देवी-देवताओं का आह्मान करने के साथ नवरात्रि की विधिवत पूजा आरंभ करें। कलश स्थापित करने के बाद नौ दिनों तक मंदिर में रखे रहना चाहिए।सुबह-शाम आवश्यकतानुसार पानी डालते रहें।



कलश स्थापना की सामाग्री ​​​



कलश स्थापना के लिए अनाज, मिट्टी का बर्तन, पवित्र मिट्टी, कलश, गंगाजल, आम या अशोक के पत्ते, सुपारी, जटा वाला नारियल, लाल सूत्र, मौली, इलायची, लौंग, कपूर, रोली, अक्षत, लाल कपड़ा और फूल आदि।



 



मां दुर्गा के पूजन की सामाग्री 



आम के पत्ते, चावल, लाल कलावा, गंगा जल, चंदन, नारियल, कपूर, जौ, गुलाल, लौंग, इलायची, 5 पान, सुपारी, मिट्टी का बर्तन, फल, मिट्टी के बर्तन, श्रृंगार का सामान, आसन, कमलगट्टा आदि।



 


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